ब्रह्म या माया दोनों में सत्य क्या है

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  मनुष्य के ऊपर भ्रम या माया का प्रभाव ----- मनुष्य इस संसार में भ्रम या माया में से किसी न किसी से प्रभावित जरूर रहता है ज्यादातर माया से ही प्रभावित रहता है। जब हम माया से संबंधित चीजों का चिंतन करते हैं तो माया हमारे ऊपर हावी हो जाती है। भौतिक जगत की जो भी वस्तुएं हम देख या स्पर्श कर सकते हैं वह सब माया ही हैं। कैसे जाने की हम माया के प्रभाव में हैं----- जिसके चिंतन से हमें लोभ मोह क्रोध भय शोक और अशांति का आभास हो , तो समझ लीजिए की माया का पूरा-पूरा प्रभाव आपके ऊपर है। कैसे जाने की हम ईश्वर के प्रभाव में है----- जो नित्य निरंतर शाश्वत परम आनंद मय है उसका चिंतन जब हम करते हैं तो देखा या छुआ नहीं जा सकता लेकिन, वह अपनी कृपा से अपने होने का एहसास करता राहत है। उसे ब्रह्म के प्रभाव में आनेसे हमें शांति संतोष सुख आनंद तथा निडरता दया परोपकार की भावना प्राप्त  होती रहती है। तो समझो कि हम ईश्वर के प्रभाव में है। अब आप यह समझ गए होंगे कि कब आप ईश्वर के प्रभाव में रहते हैं और कब माया के प्रभाव में रहते हैं और कैसे। जिसका चिंतन आप ज्यादा करेंगे उसके प्रभाव में आप रहेंगे। अब यह आपको ह...

खुशी से जीवन जीने की कला क्या है



जीवन को सही तरीके से जीना
 
भगवान ने हमें यह जीवन अपने दुखों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए ही  दिया है। दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है अगर हमें मोबाइल या टेलीविजन चलाना ना आता हो तो क्या हम उसका आनंद उठा सकते हैं ? नहीं ठीक उसी तरह अगर हमें यह जीवन जीने की कला ना मालूम हो तो हम अपना जीवन कष्ट दाई ही बिताएंगे और इसमें सुख नहीं देख पाएंगे।

                         दोस्तों तो चलिए हम इसी विषय पर बात करेंगे   जैसा कि मैंने अपने लेख में पहले ही कहा कि यदि हमें कितनी भी सुखद वस्तुओं को उपयोग करना नहीं आता हो तो हम उससे सुख नहीं उठा सकते बस उसी तरह जब हम इस संसार को इस उम्मीद से देखते हैं कि यहां पर सिर्फ हमें सुख ही मिलेगा और यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि हमें इसके लिए क्या प्रयास करने हैं या किस तरीके से अपना जीवन बनाना है तो हम उसी तरह असफल होते हैं जिस तरह किसी भी वस्तु की पूरी जानकारी ना होने पर उसके उपयोग में असफल हो जाते हैं।

एक उदाहरण से समझते हैं                         

 एक रोहन नाम का लड़का है जिसे तैराकी बहुत अच्छी तरह आती है वही उसका एक दोस्त है राहुल जिसे यह कला नहीं आती पुल पर चलते हुए जब नदी में दोनों गिर जाते हैं तो रोहन तो बड़ी ही कुशलता से नदी की धारा को अपने दोनों हाथों से पीछे धकेल ते हुए नदी को पार कर जाता है लेकिन राहुल डूब जाता है अब आप क्या कहेंगे कि नदी राहुल के लिए गहरी और रोहन के लिए इतनी गहरी नहीं थी नहीं वह दोनों के लिए समान थी लेकिन रोहन को नदी को पार करने की कला मालूम थी बस यही हमारे जीवन का भी सार है जिसे यह कला पता है वह इस जीवन रूपी नदी को बहुत आसानी से पार कर जाता है और जो नहीं जानता वह इसी में डूब जाता है और निराश होता है।

 जीवन और नदी में समानता                               

अब आप सोचेंगे कि जीवन और नदी में क्या समानता है जीवन भी तो नदी की ही तरह है जिसमें की तमाम तरह के भौतिक सुख सुविधाएं मौजूद है और जो हमें बांधे रखने का कार्य करती हैं लेकिन हम सब को यह मालूम है कि एक दिन हम को इन सारी चीजों से दूर चले जाना है फिर भी हम इन सब का मोह इतनी मजबूती से अपने मन में बांधे रहते है कि इनसे बच के रहना और अपने उद्देश्य को याद रखना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है मेरे कहने का सारांश यही है कि आप इस संसार की इन सुख-सुविधाओं से खुद को बिना बांधे इस जीवन को आसान और खुशनुमा तरीके से सुकून से जिए ना कि इसमें खुद को बांध के दुख उठाते रहे।

नदी रुपी जीवन को पार कर जाएं

जैसा कि हम सब जानते हैं कि हम जितनी उम्मीद करते हैं उतना ही हमें दुख होता है तो हमें कोशिश यही करनी है कि हमें बिना उम्मीद किए अपने जीवन को सादे तरीके से जीना है अपने कर्तव्य का पालन करना है और बस एक सधे हुए तैराक की तरह इस नदी रुपी जीवन से आगे बढ़ जाना है खुद भी खुश रहना है और दूसरों में भी खुशियां ही बांटना है। दोस्तों मेरा यह लेख लिखने का उद्देश्य ही एकमात्र है कि मेरे शब्दों से कम से कम एक व्यक्ति का तो कल्याण हो सके और जिन लोगों ने भी मेरे लेख को पढ़ा है यदि सभी को मेरी भावना समझ में आए और मेरी बात आप तक पहुंचे तो मुझे बहुत खुशी होगी मुझे अच्छा लगेगा अगर मेरे विचारों से किसी का जीवन सफल होता है तो। आज के लिए इतना ही मिलते हैं मेरे अगले लेख में आपका दिन शुभ हो नमस्कार।

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