हमारे जीवन का लक्ष्य
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मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ है। मनुष्य के अलावा बाकी सभी जीव भोग की योनि में है लेकिन मनुष्य भोग सकता है और कर्म करके अपना उद्धार भी कर सकता है। यह मनुष्य शरीर ही हमें ईश्वर की कृपा के कारण मिला हुआ है इस शरीर से हम स्वयं सुखी रह सकते हैं और साथ ही दूसरों को भी सुख दे सकते हैं और कभी दुख ना मिलने वाली स्थिति भी प्राप्त कर सकते हैं। मतलब परमसुख सच्चिदानंद में प्राप्त हो सकते हैं और यही हमारे जीवन का लक्ष्य है।
किसी भी चीज को समझने के लिए हम प्रैक्टिकल और थ्योरी दोनों चीजों को समझते हैं प्रैक्टिकल तरीके से हम यह जान ले कि यदि हम उठते बैठते सोते जाते कुछ काम करते या खाते पीते हमेशा राम नाम का जप करते हैं तो हमें सुख ही प्राप्त होगा और यह बहुत ही आसान तरीका है भगवान का ध्यान करने का अब कुछ लोग कहेंगे कि या हमेशा संभव नहीं है हम कहां कुछ बुरा कर रहे हैं बस बैठे ही तो है खाली अपना काम कर रहे हैं पर ऐसा नहीं है बात यह नहीं है कि आप बुरा कर रहे हो बात यह है कि आप संसार की उन्हीं चीजों के प्रति आकर्षित होते रहे हो हमेशा जो चीजें आपको और भी ज्यादा मोह माया में लिप्त करती हैं और भगवान के स्मरण से दूर करती हैं मैं यह नहीं कह रहा कि आप अपना कर्म ना करें कर्म करें परंतु भगवान का नाम भी जपते रहें बस राम नाम ही तो लेना है यह सबसे आसान तरीका है अपने दुखों से छुटकारा पाने का और सुख प्राप्ति का ।
अब इसको थ्योरी के माध्यम से समझते हैं सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि दुख का कारण क्या है हमारे दुख का कारण हम स्वयं ही होते हैं हमको यह पता होता है कि हमारे परिवार में जितने भी सदस्य हैं सब समान है सब एक ही है क्योंकि सब का कपड़ा खाना रहन-सहन सब कुछ एक ही दिखता है और इसी प्रकार हम सब के दुख सुख से एक ही समान जुड़ जाते हैं अगर घर का एक सदस्य दुखी होता है तो हम भी दुखी हो जाते हैं खुश होता है तो हम भी खुश रहते हैं तो हां इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन हमें यह समझना होगा कि अगर हम इसी तरह दुखी होते रहे तो हमारे मन में दुख अपनी जड़ें कितनी गहरी बना लेगा हमें खुद को मजबूत रखना होगा और परिवार जन की सेवा और मदद करनी होगी ना कि उनके दुख को अपने मन में स्थाई बना लेना होगा ऐसा कैसे कर सकते हैं हम जानते हैं कैसे वह इसलिए क्योंकि हमें पता होना चाहिए कि भले ही परिवार में सदस्य सब लोग समान हो समान खाना खाते हो सामान कपड़े पहनते हो फिर भी सब के कर्म अलग है सबका भाग्य अलग है सबका कर्मफल अलग है सबको अलग-अलग जीवन मिला है सबके जीवन का उद्देश्य लग रहा है इस तरह सोच कर हम खुद को मजबूत बनाकर हर परिस्थिति के लिए खुद को तैयार रख सकते हैं और अपनी और अपने परिवार वालों की भी सहायता कर सकते हैं कहने का अर्थ बस यही है कि अपने मन में दुखों की जड़ मत बसाइए बल्कि खुद को मजबूत रख कर उससे उबर कर रहने की कोशिश करिए और भगवान का नाम लेते रहिए हर क्षण हर पल यह वह उपाय है जो आपको हर दुख से बचाएगा।
कहने का अर्थ सिर्फ यह है कि हमें हर हाल में मजबूत रहना है और ज्ञान का प्रकाश अपने मन में रखते हुए यह जानते हुए कि जब हर इंसान हर सदस्य का अपना कर्म अलग है तो उसका कर्म फल भी अलग होगा सब कुछ हमारे हाथ में नहीं है हर कुछ चीजों को हम सुधार सकते हैं या बिगड़ जाने पर संभाल सकते हैं लेकिन उसके बनने और बिगड़ने की प्रक्रिया हमारे हाथ में नहीं है वह हर मनुष्य के अपने कर्मों के आधार पर निश्चित है पहले से ही निश्चित किया जा चुका है तो हम सिर्फ अपना कर्म कर सकते हैं और ईश्वर का नाम लेते हुए अपने जीवन को सरल बना सकते हैं मनुष्य के पास बहुत शक्ति होती है वह अपनी संकल्प शक्ति से बहुत मुश्किलों का सामना कर लेता है और जब जैसी परिस्थिति उसके सामने आती है उसकी क्षमता शक्ति उसी के अनुसार उसका साथ देती है उसको उस परिस्थिति का सामना करने की सहनशक्ति देती है इन बातों को याद रखते हुए हम अपने जीवन के लक्ष्य की ओर बहुत ही आसानी से जा सकते हैं बस राम नाम ही तो लेना है सुबह शाम दोपहर रात।
दोस्तों मेरा यहां कहने का उद्देश्य बस इतना ही है कि मैं अपने शब्दों से आपकी थोड़ी मदद कर सकूं हमारे जीवन का रहस्य ही यही है कि हम अपनी मदद कैसे कर सकते हैं यह मैंने अपने इस लेख में आपको बता दिया है बहुत ही साधारण शब्दों में मैंने बताया है और पूरी उम्मीद है मुझे कि आप इसे समझ कर अपना कर अपनी मदद जरूर करेंगे बस भगवान का नाम लेकर अपने जीवन में आगे बढ़ते जाइए और सुखी और सफल रहिए यही मेरी प्रार्थना है ईश्वर से अगले लेख में कुछ नए प्रयासों के साथ मैं फिर मिलूंगा तब तक के लिए नमस्कार।
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