कर्मों का फल कैसे बनता है और किस तरह मिलता है
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
बहुत बार हम को ऐसा लगता है कि मेरा कर्म और अगले आदमी का कर्म तो एक जैसा ही है परंतु फल अलग-अलग क्यों है उस समय हम यह भूल जाते हैं कि ईश्वर हमारे एक समान संरक्षक और हितैषी हैं वह हम सभी के लिए एक समान कर्म के फलों का निर्धारण करते हैं उन्हें पता है कि किसे कब क्या और कैसा फल देना है हमारे लिए क्या उचित है और अगले के लिए क्या उचित है इसका निर्धारण ईश्वर ही करते हैं। साथ ही कभी-कभी हमें यह भी लगता है कि हम अच्छा कर रहे हैं परंतु हमारे साथ बुरा हो रहा है और जो बुरा कर रहा है उसके साथ अच्छा हो रहा है ऐसा क्यों उस समय भी हमें इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि ईश्वर के लिए सभी समान है उन्होंने इस बात का निर्धारण बहुत पहले ही कर दिया है कि किसको कब क्या फल देना है और उसी अनुसार यह व्यवस्था चलती है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि हम एक बैंक में जाते हैं और हमारे साथ ही एक दूसरा आदमी भी बैंक में जाता है वहां काउंटर पर हम अपना कागज देते हैं कैसियर को और वह आदमी भी अपना कागज कैसियर को देता है उसे ₹10000 तुरंत दे दिए जाते हैं लेकिन हमारा कागज दूसरे काउंटर पर आगे भेज दिया जाता है अब क्यों ऐसा किया गया क्योंकि हमारे अकाउंट में 60000 है जिसके लिए एक और काउंटर पर चेकिंग की जरूरत है अतः हमारा काम थोड़ा लंबा हो जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें हमारा फल नहीं मिलेगा या अगले को मिल गया और हमें नहीं मिला ऐसा तो नहीं है ना इसी तरह हमें अपने कर्मों का ज्ञान नहीं है हम सब यहां अज्ञानी है ईश्वर कभी किसी को भी उसके कर्म का फल देने में आलस नहीं करते हैं वह इस गतिविधि को पूरा अवश्य करते हैं बस समय अलग-अलग होता है। हम अपनी अज्ञानता के कारण यह समझ जाते हैं कि ईश्वर ने हमारे साथ अच्छा नहीं किया है बस आपको ईश्वर पर भरोसा रखने की जरूरत है ईश्वर जरूर आपको आपके कर्मों का फल देगा और अच्छा ही देगा बस आपको अपनी बारी की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है ईश्वर बहुत दयालु है और वह आपके लिए कुछ अच्छा ही सोच कर रखते है।
इसी प्रकार आप मान लीजिए कि एक करोड़पति खेल में दो लोग खेलने आए एक आदमी को ₹50000 मिल गए तथा दूसरे को एक कागज पर लिखकर मिल गया कि ₹5000000 किंतु 7 साल बाद मिलेंगे अब यह अन्याय क्यों हुआ यह अन्याय नहीं था ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एक बालिक था जो बालिक था उसे तुरंत ही इनाम मिल गया लेकिन जो नाबालिक था उसे 7 साल के बाद मिलने के लिए कह दिया गया। इसी प्रकार ईश्वर हमारे कर्म को अपने विधान के अनुसार देखते हैं कि हमारा कर्म कैसा है फिर हमें देखते हैं कि उस कर्म का फल कब कितना और कैसे देना हमारे हित में होगा तो करते हैं हम अपने कर्म किए और अपनी समझ के अनुसार उसे सत्कर्म मान बैठे हल उल्टा आने पर हम दुखी हो गए तो इसीलिए कहा गया है कि कर्म में ही अपना अधिकार रखो फल में नहीं फल तो ऊपर वाले पर छोड़ दो जो उचित समझेगा वह अवश्य देगा।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप ने किसी को खून दान किया और वह आदमी ठीक हो गया अपने घर वापस चला गया अब आपके मन में तो आया कि मैंने तो बहुत अच्छा कर्म किया है कि किसी को खून दिया किसी की जान बचाई अब मुझे इसका बहुत अच्छा फल मिलना चाहिए लेकिन क्या पता वह इंसान अत्याचारी हो जो लोगों पर बुरा कर्म करता हो तो आपका कर्म उस समय अच्छे कर्म में सत्कर्म में नहीं जुड़ा बल्कि दुष्कर्म में जुड़ गया इसी प्रकार मान लीजिए कि आपने किसी को ₹500 दे दिए अब वह ₹500 का क्या उपयोग करेगा क्या पता वह एक शराबी हो और उसने ₹500 की शराब ली पिया और जाकर घर पर अपनी पत्नी को मारा और पत्नी को इससे बहुत नुकसान हुआ उसके पेट में बच्चा था और वह भी नष्ट हो गया इस तरह का कर्म भी दुष्कर्म में जुड़ गया इसलिए कर्मों के फल और उसके हिसाब किताब का सारा जिम्मा हमें ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए और उन पर भरोसा करना चाहिए हालांकि अगर आपका उद्देश्य अच्छा है तो आपको अच्छा फल ही मिलेगा अगले ने जो किया वह उसका दुष्कर्म है लेकिन तुरंत आपको इसका फल मिल जाएगा यह आवश्यक नहीं है क्योंकि तुरंत तो वहां दुष्कर्म में ही जुड़ गया ना लेकिन आपने अगर अनजाने में ऐसा किया है अगर आपका उद्देश्य अच्छा था तो आपको उसका अच्छा फल अवश्य मिलेगा तुरंत ना सही लेकिन बाद में मिलेगा इसीलिए कहा जाता है कि कर्म का फल छोड़ दीजिए कर्म के फल की चिंता मत कीजिए सिर्फ अपना कर्म करते जाइए कैसे भी करके अच्छे से अच्छा कर्म करने की कोशिश करिए और फल की चिंता फल का लेखा-जोखा यह सब ईश्वर पर छोड़ दीजिए ईश्वर जरूर इन सब कर्मों का हिसाब किताब करेगा और आपको अपने कर्मों का अच्छा फल ही देगा खुश रहिए अपना अच्छा कर्म करिए और ईश्वर का नाम जपते रहिए धन्यवाद। नमस्कार दोस्तों मैं एक नए प्रयास के साथ अपने नए लेख में आपके जीवन में थोड़ा सा प्रकाश लाने की कोशिश फिर से करूंगा ।
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें