गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है जहां हमारा स्वार्थ उसी से प्रेम करना चाहिए उसी के मंगल की कामना करनी चाहिए।
हमारा स्वार्थ कहां और किस किस से है गौर करिए जब हम पैदा हुए मां पिता से स्वार्थ पीने के लिए दूध मिला गाय से स्वार्थ पहनने के लिए कपड़े मिले तो कपड़े बनाने वाले से स्वार्थ उस फैक्ट्री में काम करने वाले उस व्यक्ति से स्वार्थ पेन बनाने वाले से पुस्तक बनाने वाले से स्वार्थ सड़क पर चलने के लिए जिन वाहनों की जरूरत पड़ी उन वाहनों को बनाने वाले से स्वार्थ कहां तक कहे कुछ भी जो कुछ भी हमारे जरूरत के लिए चीजें हैं हर उस व्यक्ति से हमारा स्वार्थ है जो उनका निर्माण करता है ।
शिक्षा रोजगार चिकित्सा उपलब्ध कराने वाले सरकार से हमारा स्वार्थ देश चलाने वाली सरकार और इस देश और देशवासियों से भी हमारा स्वार्थ है। यहां तक कि बाहरी देशों से भी जिनसे हमारे अच्छे संबंध हैं उनसे भी हमारे स्वार्थ की ही पूर्ति होती है। इसलिए हम कह सकते हैं सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सभी सुखी हों सभी निरोगी हो तथा सभी कल्याणमय हो किसी को कोई कष्ट ना हो यदि सभी पढ़े लिखे हो स्वस्थ रहेंगे तो न चोरी होगी ना अत्याचार होगा और ना ही कोई दुर्घटना होगी।
यही कारण है कि हमें सबके लिए दिल से सभी के मंगल की कामना करनी चाहिए क्योंकि सभी के मंगल में ही हमारा भी मंगल निहित है।
आप खुद सोचिए कि मान लीजिए आपने ड्राइविंग अच्छे से सीख ली है आप बहुत अच्छे से ड्राइविंग करते हैं अच्छे से गाड़ी चलाते हैं लेकिन अब खुद विचार कीजिए क्या पूरी तरह सुरक्षित हो गए सिर्फ अपनी ही ड्राइविंग से नहीं जब तक सभी लोग सड़क पर चलने वाले बाकी लोग अच्छे से ड्राइविंग नहीं जानेंगे तब तक आप सुरक्षित नहीं है।
उसी तरह अगर हर इंसान अपना कर्तव्य निभाएगा तभी हमारा रोजमर्रा का काम चल पाएगा अगर हम केवल अपना कर्तव्य करें अपने ऑफिस का काम हम तो कर रहे हैं लेकिन बाकी जो दूसरे चीज में कार्यरत हैं वह नहीं कर रहे हैं तो हमारा काम कैसे चलेगा हम को कितनी परेशानी होगी आप खुद सोचिए तो हर इंसान को अपना कर्तव्य अच्छे से निभाना चाहिए इंसान अपना कार्य अच्छे से निभाएगा तभी हमारा जीवन सुचारु रुप से चल पाएगा।
ठीक इसी प्रकार हम सिर्फ अपना अच्छा सोच कर ही नहीं जी सकते हैं हमें सभी का अच्छा सोचना पड़ेगा क्योंकि जब सभी खुश रहेंगे सभी स्वस्थ रहेंगे तभी हर चीज अपने हिसाब से एक सही दिशा में सही गति में चलती रहेगी इसीलिए हमें सभी के लिए अच्छा सोचना चाहिए सिर्फ अपने लिए नहीं।
मेरे प्रिय मित्रों मैंने अपने इस लेख में यही समझाने का प्रयास किया है कि सिर्फ अपने लिए ही अच्छी भावना रखना पर्याप्त नहीं है हमें सभी के लिए अच्छा सोचना होगा यही समझाने के लिए मैंने आपको उदाहरण भी दिए हैं और अपनी बात समझाई है मुझे पूरा विश्वास है कि आप मेरी बात समझेंगे और अपने जीवन में उतारेंगे।
मेरे लेख का यही उद्देश्य है कि मैं आप लोगों के जीवन में एक प्रकाश डाल सकूं और जीवन को आसान बना सकूं मैं अपने नए लेख में एक नए प्रयास के साथ आप से मिलूंगा और तब तक के लिए नमस्कार दोस्तों जय श्री कृष्णा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें