ब्रह्म या माया दोनों में सत्य क्या है

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  मनुष्य के ऊपर भ्रम या माया का प्रभाव ----- मनुष्य इस संसार में भ्रम या माया में से किसी न किसी से प्रभावित जरूर रहता है ज्यादातर माया से ही प्रभावित रहता है। जब हम माया से संबंधित चीजों का चिंतन करते हैं तो माया हमारे ऊपर हावी हो जाती है। भौतिक जगत की जो भी वस्तुएं हम देख या स्पर्श कर सकते हैं वह सब माया ही हैं। कैसे जाने की हम माया के प्रभाव में हैं----- जिसके चिंतन से हमें लोभ मोह क्रोध भय शोक और अशांति का आभास हो , तो समझ लीजिए की माया का पूरा-पूरा प्रभाव आपके ऊपर है। कैसे जाने की हम ईश्वर के प्रभाव में है----- जो नित्य निरंतर शाश्वत परम आनंद मय है उसका चिंतन जब हम करते हैं तो देखा या छुआ नहीं जा सकता लेकिन, वह अपनी कृपा से अपने होने का एहसास करता राहत है। उसे ब्रह्म के प्रभाव में आनेसे हमें शांति संतोष सुख आनंद तथा निडरता दया परोपकार की भावना प्राप्त  होती रहती है। तो समझो कि हम ईश्वर के प्रभाव में है। अब आप यह समझ गए होंगे कि कब आप ईश्वर के प्रभाव में रहते हैं और कब माया के प्रभाव में रहते हैं और कैसे। जिसका चिंतन आप ज्यादा करेंगे उसके प्रभाव में आप रहेंगे। अब यह आपको ह...

क्या सच में भगवान हर जगह मौजूद है अगर हां तो दिखते क्यों नहीं

कहा जाता है कि भगवान हर जगह मौजूद है-----------


 यह बात हमने और आपने बहुत बार सुनी है कई किताबों में पड़ी है या यह कहिए कि हर किसी से सुनी है कभी आपने सोचा यह कहां तक सच है क्या यह सच है और अगर हां तो कैसे इस बात को कैसे सच माने वैसे तो मेरा तो बहुत ज्यादा विश्वास है ईश्वर में लेकिन मैं इसलिए इस विषय पर बात कर रहा हूं ताकि जिन्हें थोड़ा भी संशय है वह लोग अपने संशय से बाहर निकल सके।

तो चलिए समझते हैं कि कैसे ईश्वर हर जगह मौजूद है----------

परमात्मा समस्त चल अचल जड़ जगन में समाया हुआ है यदि ईश्वर सब में समाया हुआ है तो हमें दृष्टिगोचर क्यों नहीं होता ? यद्यपि ईश्वर परमात्मा की तुलना किसी भी पदार्थ से किया जाना उचित नहीं है क्योंकि परमात्मा स्वयं अपने आप में अकेला है उसके सामान कुछ है ही नहीं जैसे बच्चे को क अक्षर का ज्ञान कराना हो तो मतलब बच्चे को बताना हो तो अबोध है उसे कैसे बताया जा सकता है?
तो संतुष्टि के लिए कबूतर बता दिया जाता है कि क माने कबूतर धीरे-धीरे बच्चे की समझ  जैसे-जैसे बढ़ती है वह जान जाता है कि यह हिंदी वर्णमाला का  पहला अक्षर है आदि आदि

अब हमें बताना है कि परमात्मा सभी प्राणियों में विद्यमान है---------

 तो दृष्टिगोचर क्यों नहीं होता अथवा हमारा लाभ क्यों नहीं करता उदाहरण के लिए पहली बात तो हर चीज आंख से ही देखने की वस्तु नहीं होती स्थूल तत्व को हम आंख से देखते हैं किंतु जो सूक्ष्म है उसे आंख से नहीं , ज्ञान चक्षु अनुभव से जानते हैं यथा हवा है अथवा विद्युत धारा है किंतु दिखाई ना देने पर भी उसका प्रभाव ही हमें उसके होने का एहसास कराता है।
वृक्ष के पत्ते तना जड़ सब में फल का तत्व है किंतु फल सामने होने पर सब जान सकते हैं किंतु जब तक हल ना हो उसका स्वाद वृक्ष जड़ का तना  देख कर नहीं पा सकते पानी पृथ्वी के नीचे सर्वत्र विद्यमान है किंतु;

पानी पीने के काम तब आएगा जब नल या बोरिंग से पानी निकाला जाएगा। अग्नि हर जगह है किंतु माचिस की मदद से हम जहां चाहे प्रकट कर सकते हैं ऐसे ही ईश्वर तो सर्व व्याप्त है किंतु प्रेम धारा में हृदय पर राम नाम का बार-बार घर्षण होने से उसका प्रभाव दिखाई पड़ने लगता है और हृदय में परमात्मा प्रकट हो जाते हैं फिर भी भक्तों का प्रेम यदि अगाध है तो उसके लिए किसी न किसी रूप में सामने आने ही लगते हैं।

मेरे इस लेख का एकमात्र उद्देश्य क्या है--------

मेरे इस लेख का उद्देश्य बस यह नहीं है कि मैं आपको यह बता सकूं कि ईश्वर सब जगह विद्यमान है बल्कि मेरे इस लेख का उद्देश्य यह है कि मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि ईश्वर तो हर जगह विद्यमान है ही लेकिन हम ईश्वर से जुड़ कैसे सकते हैं देखिए इस संसार में बहुत कुछ ऐसा है जो हमें दिखता नहीं है लेकिन हम उससे जुड़े हुए हैं यही बात मैंने उदाहरण में ऊपर समझाई है।

यही बात मैं समझाना चाहता हूं कि जिस तरह कई चीजों का प्रयोग आप एक तरीके से करते हैं जिससे कि आप उस चीज से जुड़ जाते हैं भले ही वह चीज आपको दिखाई नहीं दे रही होती है लेकिन अब विश्वास करते हैं उसी विश्वास के साथ आप ने तरीके निकाले हैं उस चीज को इस्तेमाल करने के ताकि आप उससे जुड़ जाइए ठीक उसी तरह ईश्वर को भी विश्वास करिए कि वह है हर जगह है।



 यह बात बिल्कुल सच है और एक तरीका है ईश्वर से जुड़ने का
 तो इसलिए अपनी तरफ से हमेशा याद रखिए कि भगवान है हर जगह है वह मेरी मदद करेंगे वह मेरा जीवन अच्छा करेंगे जितना ही आप याद रखोगे उतना ही आप भगवान को याद रहोगे।

नमस्कार दोस्तों मेरे आज के इस लेख  में इतना ही था मैं अपने नए लुक में कुछ और भी ऐसी बातें लेकर आपके सामने आऊंगा जिससे कि आपको लगेगा कि हमारा जीवन इतना कठिन भी नहीं है जितना हम सोचते हैं बस हमें अपना नजरिया बदलने की जरूरत है और उस रास्ते पर चलने की जरूरत है जो इतने समय से हमारे ग्रंथ हमारे ऋषि मुनि हमें बताते हैं बस उस चीज को अपने आज के युग के जीवन से तालमेल बैठाकर जोड़कर आगे बढ़ते जाना है।

मिलते हैं नए लेख में तब तक के लिए नमस्कार दोस्तों  जय श्री कृष्णा। धन्यवाद ।

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