हर इंसान खुशी पाना चाहता है क्योंकि हर इंसान भगवान का ही अंश है और भगवान आनंद का स्वरूप है यह बात हम सबको पता है। तो इस तरह से होता यह है कि किसी भी इंसान को जहां खुशी मिलती है उसे वही अच्छा लगता है जहां जहां वह अपने आप को अच्छा महसूस करता है अपना मन हल्का महसूस करता है चाहे वह कोई जगह हो चाहे कोई परिस्थिति बदलने से होता हो या किसी इंसान के साथ उसको अच्छा लगता है तो इसलिए वह उसी के साथ खुश रहने में खुद को सुखी महसूस करने लगता है ।
लेकिन होता यह है कि कुछ समय तो उसे अच्छा लगता है कुछ समय तो खुशी महसूस कर लेता है लेकिन कुछ टाइम के बाद वह फिर निराश महसूस करने लगता है क्योंकि यह संसार क्षणभंगुर है यह परिवर्तित होता रहता है परिवर्तन होना इस संसार का नियम है कोई भी चीज एक जैसी नहीं रह सकती है,
इंसान के स्वभाव में बदलाव आ जाता है जगह में बदलाव आ जाता है परिस्थिति बदल जाती है और इंसान फिर से दुखी महसूस करने लगता है इंसान को लगता है कि मैं इसके साथ खुश रह सकता हूं या इस जगह पर खुश रह सकता हूं लेकिन होता यह है कि चीजें बदलती रहती है।
यह संसार वैसे तो सच्चिदानंद परमात्मा का बनाया हुआ है लेकिन साथ ही यह भी सत्य है कि यह संसार अटल रहने वाला नहीं है और इस तरह होता यह है कि जो चीज इंसान को एक समय पर अच्छी लग रही होती है जब उसमें वह परिवर्तन देखता है तो वह उतना ही दुखी महसूस करने लगता है।
यह संसार भगवान की बनाई हुई माया है जिस तरह हम हाथ में रेत को पकड़ने की कोशिश करें चाहे जितनी कोशिश कर ले हो सकता है एक पल के लिए ठहर भी जाए लेकिन फिर वह फिसल कर हमारे हाथ से गिर ही जाता है उसी तरह समय परिस्थिति इंसान सब कुछ हमारे हाथ से निकल ही जाता है और फिर से हम दुखी महसूस करने लगते हैं।
यह संसार अस्थाई है इसमें कुछ भी स्थाई नहीं रह सकता है जब इस बात को पूरी तरह से समझते हुए हम इस में रहते हैं जीते हैं तो हमें इतना दुख नहीं होता है,
क्योंकि हम जान रहे हैं कि यहां कोई भी चीज हमेशा के लिए नहीं टिकने वाली है कुछ ना कुछ बदलाव तो होते रहना है यहां अगर खुशी मिलेगी तो दुख भी मिलेगा यह ज्ञान अगर हमें हो जाता है या यूं कहिए कि हमारे मन में यह बातें गहराई तक बैठ जाती हैं तो हम इस संसार में सुख पूर्वक रह सकते हैं क्योंकि,
तब हम समझ जाते हैं कि जब हमें जो मिल रहा है उसमें हमें उस समय खुश रह लेना है क्योंकि हमें पता है कि कोई भी चीज टिकने वाली नहीं है हर चीज परिवर्तित होने के लिए ही बनाई गई है क्योंकि यह पूरा संसार ही माया है और यह माया ईश्वर की बनाई हुई है।
इसी को कहते हैं ज्ञान जिसको इस बात का ज्ञान है वह सुखी है और जिसे इस बात का ज्ञान नहीं है वह दुखी है वैसे तो हम यह सब बातें किताबों में पढ़ते बहुत है लेकिन सच है यह अपने जीवन में उतार नहीं पाते लेकिन हमें निरंतर इसके लिए प्रयास करना चाहिए ऐसा नहीं हो सकता है कि हम एक दो बार किताब में पढ ले और हमारे मन में चीज बैठ जाए नहीं हर पल हर बार कोई भी परिस्थिति आने पर हमें स्वयं को यह बातें याद दिलानी चाहिए।
इस संसार में कोई भी ऐसा नहीं है जो हमेशा अपने मन में ध्यान रखें रहे और अपना सब कुछ कर्तव्य निभाते भी रहे और उसे दुख ना हो दुख सबको होता है अगर कोई ऐसी परिस्थिति आती है तो लेकिन ज्ञानी वही होता है जो दुख में खुद को संभाल लेता है अपने ज्ञान को उस समय उपयोग में लाता है जिस समय उसको सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
इसलिए यह बात हमेशा मान के चलनी चाहिए कि जो कुछ भी आपको जन्म से मिला जो व्यक्ति अच्छे मिले जो भी आपको स्थान मिला सामान मिला जो भी मिला उन चीजों के प्रति बिना अपना मन पूरी तरह से लगाए और आप अपना कर्म पूरी तरह से करते रहिए बस इस बात को याद रखना ही हमारा धर्म है अपना धर्म और कर्म निभाते रहना और अपना जीवन सरल तरीके से जीना हमेशा यह विश्वास अपने मन में बनाए रखना कि भगवान न्याय प्रिय है वह कभी गलत नहीं करेंगे।
हमारी कुछ सोच से ही हमारा जीवन आसान हो जाता है हम ईश्वर पर भरोसा रखना शुरू करते हैं तो हमें हर बात सरल लगने लगती है हां यह बात सत्य है की कुछ चीजें हमारे साथ गलत हो जाती हैं लेकिन जब हमें ज्ञान होता है तो हम समझ पाते हैं कि कहीं ना कहीं हमने कुछ गलत किया है कुछ न कुछ हमारे कर्म में गलती हुई है इसलिए ही हमारे साथ गलत हुआ है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप भाग्य भरोसे बैठ जाएं जी बिल्कुल नहीं मतलब यह है कि हम अपना कर्म अच्छा रखें अभी तक जो हो गया वह हो गया लेकिन आगे तो कम से कम हमें अच्छे कर्मों का फल मिले।
ज्ञान का मतलब यह नहीं है कि आप ढेर सारी किताबें पढ़ ले बहुत सारी धर्म की ज्ञान की बातें हमेशा अपने दिमाग में रखे नहीं ज्ञान का मतलब बस या है कि आप यह जानते रहे कि आप क्या कर रहे हैं आपका कर्म कैसा है आप किसी के प्रति गलत तो नहीं कर रहे ना और जिस रास्ते पर चल रहे वह रास्ता सत्य का है ना।
ज्ञान यह है कि हमें पता होना चाहिए जीवन बदलता रहेगा या संसार हमेशा बदलता रहता है इस बात को अपने मन में बैठाना पड़ेगा बस यह दो बातें अपने मन में बैठा लीजिए एक कि हमें अपना कर्म अच्छा रखना है दूसरा कि कुछ भी स्थाई नहीं है सब कुछ बदलता रहेगा और अपना जीवन सामान्य तरीके से जीना शुरु कर दीजिए आपको यह जीवन आसान लगने लगेगा और आशा की एक नई किरण आपके मन में जग जाएगी।
मुझे उम्मीद है कि आपको समझ में आ गया होगा कि हमारे दुखों का कारण अज्ञानता क्यों है अगर हम अज्ञानी रहते हैं तो हमें दुख होता है जो जितना ही ज्यादा अज्ञानी है उसे उतना ही ज्यादा दुख होगा दुख होना स्वाभाविक है लेकिन उससे उबरने की कला आना यह हमारे लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इस संसार में अपने कर्म को सुख पूर्वक करना अपने कर्तव्यों का अच्छे से पालन करने के लिए हमें हमेशा यह दो ज्ञान अपने मन में रखकर ही चलना चाहिए ताकि हम,
अपने साथ भी अच्छा करें और दूसरे के साथ भी अच्छा कर पाए और इसके लिए हमें चाहिए कि हम अपने मन को संयमित रखें कुछ बातों को मान लेना और कुछ बातों को जान लेना और उस आधार पर शांतिपूर्वक अपना कर्म और धर्म निभाना चाहिए यही मनुष्य के जीवन का सार है और इस तरह हम हमेशा अपने जीवन में सुखी रह सकते हैं और गलत कर्म से बच सकते हैं।
मुझे आशा है मित्रों , आपको मेरी बातें पढ़ कर अच्छा लगा होगा शायद आप जिस दुखी मन से इस लेख को पढ़ने आए हो आपके मन को थोड़ी तसल्ली मिली हो आपकी समस्याओं का समाधान मिला हो बहुत ज्यादा किताबें पढ़ लेने से कुछ नहीं होता है हमें अपने मन में झांकने की जरूरत है बस ईश्वर को हमेशा याद रखें अपने मार्ग पर बढ़ते रहना चाहिए और सब के प्रति अच्छा मन रखना चाहिए।
तो, नमस्कार मित्रों मैं इसी तरह अपने लेख में कोशिश करता हूं कि कम से कम एक इंसान का जीवन तो जरूर बदल सकूं कम से कम कुछ लोग तो मेरे लेख से अपने जीवन में उत्साहित होकर आगे बढ़ सके मैं अपने नए लेख में कुछ ना कुछ फिर से नई आशा की किरण लेकर आपके सामने आऊंगा तब तक के लिए नमस्कार दोस्तों जय श्री कृष्णा।
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