शांति कैसे मिल सकती है ऐसा क्या करें कि हमें शांति का अनुभव हो
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सबसे पहले तो हम यह समझ ले कि शांति का स्वरूप क्या है और शांति ईश्वर का ही स्वरूप है हमें मन में शांति महसूस होती है तो हमें अपना जीवन आसान लगने लगता है क्योंकि यह ईश्वर का ही स्वरूप है।
अब आप सोचिए कभी आपने सोचा है कि ईश्वर क्या है ईश्वर कौन है यह दिखते तो नहीं है लेकिन यह ईश्वर तो है ही।
हर वह चीज जो दिख रही है और नहीं दिख रही है वह सब कुछ ईश्वर का ही रूप है परम ब्रह्म ही ईश्वर है ब्रह्मा विष्णु महेश यह त्रिदेव भी एक ही ईश्वर का रूप है यह पूरा संसार उसी ईश्वर की माया में चल रहा है।
ईश्वर ने एक से अनेक हो जाने और इस ब्रह्मांड तथा जीव और माया का निर्माण किया फिर बंधन और मोक्ष का निर्माण किया दुख और आनंद का भी निर्माण किया।
भ्रम में डालने वाली माया तथा भ्रम से बाहर निकालने वाली माया को भी प्रकट कर दिया।
हमें कष्ट है दुख है या नहीं कुछ तो विक्षिप्त अवस्था में होने के कारण जान ही नहीं पाते जैसे शराबी शराब पीकर नाली में गिरा रहता है उसे किसी प्रकार का दुख है अभी नहीं भी है उसे कुछ पता नहीं चलता है ।
और जब उसे होश आता है तब उसे याद आता है कि उसे कौन-कौन से दुख है। उसी तरह इस संसार में बहुत से ऐसे लोग हैं जो इतना ज्यादा माया में फस गए हैं जिन्हें अभी नहीं समझ में आता कि उन्हें कष्ट किस बात का है और कुछ तो ऐसे हैं कि जिन्हें समझ में आता है लेकिन वह उसको हल करने के बारे में प्रयत्नशील नहीं होते उसी में उलझ के रह जाते हैं।
किंतु कुछ लोग इस संसार में ऐसे भी हैं जिन्हें अपने कष्ट का ज्ञान है और वह उस को सुलझाने के लिए भी लगातार प्रयत्नशील रहते हैं वह चाहते हैं कि वह अपने कष्टों से बाहर निकल सके ठीक है मेरी बात समझने की कोशिश करिएगा मैं यह नहीं कह रहा हूं कि किसी को अपने दुख का पता ही नहीं है पता है अगर किसी को कोई प्रकट दुख होता है तो उसे पता है।
दुख तो पता है लेकिन दुख का कारण नहीं पता है पता नहीं कितनी सारी ऐसी बातें होती हैं जो हमारे दिमाग में चलती रहती हैं और वह हमारे लिए दुख का कारण बन जाती है लेकिन हम उसे समझ ही नहीं पाते लेकिन इस संसार में कुछ लोग हैं कि जो उस चीज से निकलना चाहते हैं उस चीज को सुलझाना चाहते हैं। यह लेख पढ़ने जो भी आया है वह सब ऐसे ही हैं जो अपने जीवन की समस्याओं को सुलझाना चाहते हैं।
इस संसार में हमें जो कुछ भी मिला है वह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों के फल स्वरुप ही मिला है चाहे वह स्थान है स्थिति है या परिस्थिति है या व्यक्ति है लेकिन हम इस सब बातों से अनजान होकर उन सब चीजों में इतने रम जाते हैं कि इन सब चीजों को हमेशा के लिए मान बैठते हैं जो कि हमें अच्छी तरह पता है कि यह चीजें हमेशा के लिए नहीं है।
यह सब चीजें नश्वर है क्षणिक है और परिवर्तनशील है लेकिन हम उस सब को अपने मन में बसाए हुए हैं बार-बार भ्रमित होते रहते हैं और इतना ज्यादा रम जाते हैं कि अगर कुछ भी हमारे मन के विपरीत हो जाता है तो हम बहुत ही ज्यादा दुखी हो जाते हैं।
मनुष्य भाव का और विचारों का पुंज है आप जहां भी जिस भी स्थिति में रहते हैं उसी तरह के भाव और विचार आपके मन में आते हैं और ज्यादा विचार होने पर वह आपको घेर लेते हैं।
जैसे कोई शराबी अगर शराब छुड़ाना चाहता है तो उसे जगह जगह पर कुछ दूरी पर अच्छी चीजों का सेवन करके छुड़ाया जा सकता है लेकिन उसे बार-बार शराब याद आती रहती है उसी तरह सारे इंसान कुछ ना कुछ ऐसी क्षणभंगुर नश्वर चीजें ही याद कर करके उसी में रह जाते हैं जो कि हमारे लिए अच्छा नहीं होता है और हमारे दुख का कारण बनता है।
इस सब का हल यही है कि हम अपना मन थोड़ा परमात्मा की तरफ लगाएं जिस तरह प्रकाश के आगे अंधकार नहीं टिकता उसी तरह परमात्मा के आगे अज्ञानता नहीं टिकती हमें स्वता ही ज्ञान होने लगता है कि हम जो सोच रहे हैं वह सही नहीं है सही नहीं है का मतलब यह नहीं है कि आपके रिश्ते झूठे हैं मतलब यह है कि यह सब परिवर्तनशील है यह बात हम अपने अंतर्मन से जान लेते हैं। और यहीं से हम शांति पा सकते हैं अपने जीवन में शांति मय तरीके से रह सकते हैं।
और तब इस तरह से हम संसार में रहकर अपने कर्तव्य का पालन भी करते हैं अपने धर्म का पालन भी करते हैं अपने दायित्व को भी निभाते हैं और बिना किसी चीज में डूबे हुए बिना कुछ उम्मीद पाले हुए अपना जीवन आसान तरीके से जी सकते हैं ।
ऐसा ही गीता में कहा गया है कि कर्म में हमारा अधिकार है लेकिन फल में नहीं यह बात बिल्कुल सत्य है हम अपना कर्म कर सकते हैं लेकिन उसका परिणाम क्या आएगा यह हम तय नहीं कर सकते और इसीलिए यह हमें ईश्वर पर छोड़ना चाहिए और इस तरह ईश्वर के ऊपर निर्भर रहकर हम अपने मन में ज्ञान का प्रकाश भी जगा सकते हैं और अपना जीवन भी आसान तरीके से जी सकते हैं।
मित्रों उम्मीद करता हूं कि आपको मेरा लेख अच्छा लगा होगा और मेरे लेख का उद्देश्य भी आपको समझ में आया होगा और हो सकता है आपकी समस्या का हल भी आज आपको मेरे लेख पढ़ने से मिला हो मैं कुछ नई कोशिशों के साथ आपके सामने फिर से आऊंगा तब तक के लिए नमस्कार जय श्री कृष्णा।
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