अहंकार क्यों नहीं करना चाहिए
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मनुष्य खुद को धनवान बुद्धिमान बलवान समझता है एक हद तक तो ये ठीक है क्यों की आत्मविश्वास भी होना जरूरी है लेकिन जब ये भावना ज्यादा बढ़ जाती है तो ये अहंकार का रूप ले लेती है जो कि किसी के लिए अच्छा नहीं होता।
और यही अहंकार मनुष्य को पतन की ओर धकेल देता है।क्योंकि जब कोई भी व्यक्ति घमंड करता है तो सबसे पहले वह स्वयं को ही परीक्षा की परिस्थिति में डाल देता है और इसके सामने ऐसी परिस्थितियां आने लगती हैं ।
जो कि चुनौती की तरह काम करती हैं।
और जब तक उसे इस बात का एहसास होता है तब तक वो कहीं का नही रह जाता।
ईश्वर ने मनुष्य को अंहनकार न करने का निर्देश इसीलिए दिया है ताकि वह संसार की भौतिक पदार्थों की नश्वरता को समझ सके क्योंकि यह एक अटल सत्य है कि संसार में कुछ भी स्थायी नही है किसी भी पल सबकुछ बदल सकता है तो कोई कैसे कह सकता है कि मैं सर्व शक्तिमान हूं। या मैं ही धनवान और बलवान हूं।
जब तक जो कुछ भी हमे मिला है हमे ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए और विनम्रता से जीना चाहिए ।
ईश्वर हमे अहंकार न करने का संदेश इसीलिए देते हैं ताकि हम सरलता से एक अच्छा जीवन जी सके और दूसरों को भी प्रेरणा दे सके।
नमस्कार दोस्तों मिलते हैं नए लेख में।
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